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लेखनी कहानी -27-Feb-2023 बचपन

मुक्तक  


याद आती हैं बचपन की वो शरारतें 
खिलंदड़ जिंदगी और बेपरवाह आदतें 
ना कोई गम ना उदासी ना कोई चिंता थी 
आंखों में रंगीन सपने आसमां छूने की बातें 

पैरों में चक्कर और होठों पे शक्कर होती थी 
प्रेम का समंदर वात्सल्य की बरसात होती थी 
मासूमियत के रंग में हर रंग घुल जाया करता था 
नन्हे मस्तिष्क में कल्पनाओं की उड़ानें जवान होती थी 

पढने लिखने खाने पीने खेलने कूदने में समय कटता था 
जिंदगी का हर सुख हमारे सिरहाने पर हुआ करता था 
कितने अमीर थे तब , बड़ी शाही जिंदगी जिया करते थे 
वो अविस्मरणीय अवर्णनीय हमारा बचपन हुआ करता था 

श्री हरि 
27.2.23 

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8 Comments

Renu

27-Feb-2023 11:14 PM

👍👍🌺

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Hari Shanker Goyal "Hari"

27-Feb-2023 11:34 PM

💐💐🙏🙏

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Abhilasha Deshpande

27-Feb-2023 04:17 PM

Nice

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Hari Shanker Goyal "Hari"

27-Feb-2023 11:33 PM

💐💐🙏🙏

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Radhika

27-Feb-2023 04:06 PM

Nice

Reply

Hari Shanker Goyal "Hari"

27-Feb-2023 11:33 PM

💐💐🙏🙏

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