याद आती हैं बचपन की वो शरारतें
खिलंदड़ जिंदगी और बेपरवाह आदतें
ना कोई गम ना उदासी ना कोई चिंता थी
आंखों में रंगीन सपने आसमां छूने की बातें
पैरों में चक्कर और होठों पे शक्कर होती थी
प्रेम का समंदर वात्सल्य की बरसात होती थी
मासूमियत के रंग में हर रंग घुल जाया करता था
नन्हे मस्तिष्क में कल्पनाओं की उड़ानें जवान होती थी
पढने लिखने खाने पीने खेलने कूदने में समय कटता था
जिंदगी का हर सुख हमारे सिरहाने पर हुआ करता था
कितने अमीर थे तब , बड़ी शाही जिंदगी जिया करते थे
वो अविस्मरणीय अवर्णनीय हमारा बचपन हुआ करता था
Renu
27-Feb-2023 11:14 PM
👍👍🌺
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Hari Shanker Goyal "Hari"
27-Feb-2023 11:34 PM
💐💐🙏🙏
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Abhilasha Deshpande
27-Feb-2023 04:17 PM
Nice
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Hari Shanker Goyal "Hari"
27-Feb-2023 11:33 PM
💐💐🙏🙏
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Radhika
27-Feb-2023 04:06 PM
Nice
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Hari Shanker Goyal "Hari"
27-Feb-2023 11:33 PM
💐💐🙏🙏
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